मेरे गाये गीत
बुधवार, फ़रवरी 03, 2010
’चौदहवीं का चाँद हो’
’चौदहवीं का चाँद हो’ शरद के स्वर में
1 टिप्पणी:
अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’
गुरुवार, फ़रवरी 04, 2010 9:56:00 am
अच्छा लगा यह गाना भी आपके कण्ठ से।
बहुत बधाई
सादर
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मेरे बारे में
शरद तैलंग
सुगम संगीत गायक,व्यंग्यकार रंगकर्मी,ग़ज़लकार,कवि,आयोजक, पूर्व कार्यकारिणी सदस्य राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर,संयोजक सप्त शृंगार संस्था,
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सुहानी रात ढल चुकी
मुझको इस रात की तनहाई में
आंसू भरीं हैं ये जीवन की राहें
सारंगा तेरी याद में
ये मेरा दीवानापन है
दुनिया बनाने वाले
वक़्त करता जो वफ़ा
’चौदहवीं का चाँद हो’
अच्छा लगा यह गाना भी आपके कण्ठ से।
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई
सादर